Sunday, November 29, 2009

डैडी

एक दिन सपने में  फिर आ  जाओ न डैडी,
धुन्दला होता चेहरा फिर ताज़ा कर जाओ न डैडी |

भूलों कैसे वो आप का लाड ,
एक बार फिर माथा चूमो न डैडी |


चलना तो सिखा गए हो ,
पैरों पे खड़ा होना तो सिखाओ डैडी | 


तन्हा खड़ा रस्ते ताकता हूँ ,
आ कर ऊँगली थामो नो डैडी |


बहोत गलतिया  में करता हूँ ,
एक बार गुस्से से डाटो न डैडी |


डर लगता हैं मुझको यहाँ ,
सीने से लगाने आओं न डैडी |


नाम ऊँचा ही करता जाऊंगा ,
सर फक्र से ऊँचा दिखलाने आओगे न डैडी |


एक दिन सपने में फिर आ जाओ न डैडी,
इस ज़िद को भी पूरा कर जाओ न डैडी |
               -ताबिश 'शोहदा' जावेद

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