एक दिन सपने में फिर आ जाओ न डैडी,
धुन्दला होता चेहरा फिर ताज़ा कर जाओ न डैडी |
भूलों कैसे वो आप का लाड ,
एक बार फिर माथा चूमो न डैडी |
चलना तो सिखा गए हो ,
पैरों पे खड़ा होना तो सिखाओ डैडी |
तन्हा खड़ा रस्ते ताकता हूँ ,
आ कर ऊँगली थामो नो डैडी |
बहोत गलतिया में करता हूँ ,
एक बार गुस्से से डाटो न डैडी |
डर लगता हैं मुझको यहाँ ,
सीने से लगाने आओं न डैडी |
नाम ऊँचा ही करता जाऊंगा ,
सर फक्र से ऊँचा दिखलाने आओगे न डैडी |
एक दिन सपने में फिर आ जाओ न डैडी,
इस ज़िद को भी पूरा कर जाओ न डैडी |
-ताबिश 'शोहदा' जावेद
nice one yaaar....
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