Wednesday, December 17, 2008

राहगीर

राहें तन्हा हैं सारी,
मुझे हमसफर नहीं मिलता।
दिल में कई राज़ हैं पोशीदाह,
मुझे हमराज़ नहीं मिलता।।

पीने को तो पी लूँ ,
पर साकी दिलदार नहीं मिलता।
मंजिल को पाने की ललक है,
पर रहबर वफादार नहीं मिलता॥

तड़पता बहुत है दिल मेरा,
मुझे हमदर्द नहीं मिलता।
आँखों में है आँसू लहू के ,
मुझे कोई गमगुसार नहीं मिलता॥

तूफान है मेरी तकदीर में,
मुझे साहिल नहीं मिल सकता।
हर मोड़ पर फरेब,
क्या मुझे एक कातिल नहीं मिल सकता ॥

- ताबिश 'शोहदा' जावेद




3 comments:

  1. Kya baat hai Tabish Sahaab..Nida fazli sahab ki shayari se yaad aaya :

    har ik safar ko hai mahafuus raaston kii talaash
    hifaazaton kii rivaayat badal sako to chalo

    kahiin nahiin koii suuraj dhuaa.N dhuaa.N hai fizaa
    Khud apane aap se baahar nikal sako to chalo

    excellent start..silsila aage badhaiye

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  2. अच्छी कविता है। हिन्दी चिट्टाजगत में स्वागत है।

    लगता है कि आप हिन्दी फीड एग्रगेटर के साथ पंजीकृत नहीं हैं यदि यह सच है तो उनके साथ अपने चिट्ठे को अवश्य पंजीकृत करा लें। बहुत से लोग आपकी कविता का आनन्द ले पायेंगे। हिन्दी फीड एग्रगेटर की सूची यहां है।

    कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है।

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