पेशेवर आगे निकल गए,
हम तकदीर को रोते रहे ,
वो तदबीर सहारे निकल गए
साथियों के जमावड़े में,
तन्हा ही रह गए,
तरक्की पर खुश होते रहे ,
असल में ,सब आगे निकल गए.
सपनो कि फेहरिस्त में ,
ऐसा ख्वाब बुन गए ,
बरसो से सोते रहे ,
आज एक ख्वाब सहारे उठ गए .
- ताबिश 'शोहदा' जावेद
.
nice
ReplyDeletebohat khoob
ReplyDeletetabish bhai...aisi khata kya ki humne...
ReplyDeleteaap to bilkul emotional ho gaye hain..
lkn sach baat bataun to humne kabhi itni pyaari baatien na padi na suni...bahut khoob...
khoob likha tabish bhai
ReplyDeletehum to aap ki lekhni ke kayal ho gaye