Wednesday, December 17, 2008

राहगीर

राहें तन्हा हैं सारी,
मुझे हमसफर नहीं मिलता।
दिल में कई राज़ हैं पोशीदाह,
मुझे हमराज़ नहीं मिलता।।

पीने को तो पी लूँ ,
पर साकी दिलदार नहीं मिलता।
मंजिल को पाने की ललक है,
पर रहबर वफादार नहीं मिलता॥

तड़पता बहुत है दिल मेरा,
मुझे हमदर्द नहीं मिलता।
आँखों में है आँसू लहू के ,
मुझे कोई गमगुसार नहीं मिलता॥

तूफान है मेरी तकदीर में,
मुझे साहिल नहीं मिल सकता।
हर मोड़ पर फरेब,
क्या मुझे एक कातिल नहीं मिल सकता ॥

- ताबिश 'शोहदा' जावेद