आस पास है सन्नाटा,
ज़हन में शोर,
जाने कहाँ से दर्द ले आया,
मन ये मेरा चोर।
किसी से कहता भी नहीं,
सह इस को सकता भी नहीं,
खुद बावरा, बंजारा, बेगाना,
दुनिया को कहता फिरता बेदाद।
नीली नीली खुश्क रातों में,
मैं सो जाता हूँ, ये जागता है,
मन गर तू मेरा है, तो फिर शब् में,
गैरों को क्यूँ पुकारता है।
मन तू मझसे दोस्ती कर ले,
बीते वक़्त के पीछे क्या लड़ना,
नए किस्से, अशार, कहानी, लिखेंगे
हम भी सस्ती किताबों में छपेंगे।
कर ले दोस्ती जब रहना ही है साथ, यार!
मन तू भी बेज़ार, 'ताबिश' भी बेज़ार।
ताबिश 'शोहदा' जावेद
aas pass hai sannata.
zehen me shor,
jaane kahan se dard le laya,
mann ye mera chor.
kisi se kehta bhi nahi,
seh is ko sakta bhi nahi,
khud bawara,banjaara, begana
duniya ko kehta phirta bedaad
neeli neeli khushk raaton mein
main so jaata hun, ye jaagta hai
mann, gar tu mera hai,to phir shab mein,
gairon ko kyun pukarta hai
mann tu mjhse dosti kar le,
beete waqt ke peeche kya ladna,
naye kisse, ashaar, kahani, likhenge
hum bhi sasti kitabon me chapenge...
karle dosti jab rehna hi hai saath, yaar!
mann tu bhi bezaar, 'tabish' bhi bezaar
Tabish 'Shohda' Javed
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