बागबाँ क्या
यहाँ बयाबाँ नहीं मिलता ,
इस मौकापरस्त दुनिया में ,
हर किसी को सरपरस्त नहीं मिलता।
ज़िन्दगी भर का साथ कहाँ ,
उठ खड़े होने को हाथ नहीं मिलता ।
इस शोहरतपरस्त दुनिया में ,
हर किसी को सरपरस्त नहीं मिलता।
एक दूजे के लिए लम्हा कहाँ ,
पर कौन यहाँ तन्हा नहीं मिलता ।
इस वक्तपरस्त दुनिया में ,
हर किसी को सरपरस्त नहीं मिलता।
इस सैकड़ों आदमी की भीड़ में,
एक शख्स अपना नहीं मिलता ।
इस दौलतपरस्त दुनिया में
हर किसी को सरपरस्त नहीं मिलता ।
फलक छुते मीनारों में,
ज़मीन पर बसने वाला नहीं मिलता.
इस ख्वाबपरस्त दुनिया में
क्यूँ सब को सरपरस्त नहीं मिलता ?
हमदर्द नहीं मिलता,
हमराज़ नहीं मिलता ,
इस ज़फापरस्त दुनिया में,
एक कलि को खिलने का मौका नहीं मिलता ।
-ताबिश 'शोहदा' जावेद
Wednesday, February 11, 2009
Monday, February 9, 2009
तलाश
एक अदद दोस्त की तलाश है
वो जो आखों से पढ़े दिल की बात,
जो हो तैयार हर वक्त देने को साथ ,
ऐसे एक दोस्त की तलाश है।
एक अदद दोस्त की तलाश है
देख के मेरे आंसूं हो पलकें उसकी नम,
जो न बोले 'मैं' हमेशा कहे हम,
ऐसे अक दोस्त की तलाश है ।
एक अदद दोस्त की तलाश है,
हर सिम्द फैले अंधेरे के लिए हो अफताब,
जाने मुझे मानो में हूँ एक खुली किताब,
ऐसे अक दोस्त की तलाश है ।
एक अदद दोस्त की तलाश है ,
वो जो हो मेरा हमरूह ,जो पढ़ ले मेरा मन,
बेशक तुम हो यहीं कहीं ,पर कब उठेगे चिल्मन,
उस पर से जिस दोस्त की मुझे तलाश है ।
-ताबिश 'शोहदा' जावेद
वो जो आखों से पढ़े दिल की बात,
जो हो तैयार हर वक्त देने को साथ ,
ऐसे एक दोस्त की तलाश है।
एक अदद दोस्त की तलाश है
देख के मेरे आंसूं हो पलकें उसकी नम,
जो न बोले 'मैं' हमेशा कहे हम,
ऐसे अक दोस्त की तलाश है ।
एक अदद दोस्त की तलाश है,
हर सिम्द फैले अंधेरे के लिए हो अफताब,
जाने मुझे मानो में हूँ एक खुली किताब,
ऐसे अक दोस्त की तलाश है ।
एक अदद दोस्त की तलाश है ,
वो जो हो मेरा हमरूह ,जो पढ़ ले मेरा मन,
बेशक तुम हो यहीं कहीं ,पर कब उठेगे चिल्मन,
उस पर से जिस दोस्त की मुझे तलाश है ।
-ताबिश 'शोहदा' जावेद
Wednesday, February 4, 2009
मेरा सवाल
मेरी इस बेमंजिल ज़िन्दगी में,
दर्द बेपनाह है|
संगदिल मेरा ये,
यादों का बयाँबा है|
मन जानता नहीं मेरा बेवफाई,
पर हर कदम पर तनहा है|
पूछता रहता है यही सवाल
वफ़ा का अब सिला कहाँ है?
नादान जानता नहीं की,
ज़माने का निजाम अब बदला है|
हर शख्स अब बेरूह है,
हर दिल में खला है|
गिला नहीं की मेरा गम बेपनाह है,
पर न जाने कब से दिल में ये सवाल बसा है|
या खुदा दिल उसी का क्यूँ कमजोर बना है,
नसीब में जिसके दर्द बेपनाह है|
-ताबिश'शोहदा'जावेद
दर्द बेपनाह है|
संगदिल मेरा ये,
यादों का बयाँबा है|
मन जानता नहीं मेरा बेवफाई,
पर हर कदम पर तनहा है|
पूछता रहता है यही सवाल
वफ़ा का अब सिला कहाँ है?
नादान जानता नहीं की,
ज़माने का निजाम अब बदला है|
हर शख्स अब बेरूह है,
हर दिल में खला है|
गिला नहीं की मेरा गम बेपनाह है,
पर न जाने कब से दिल में ये सवाल बसा है|
या खुदा दिल उसी का क्यूँ कमजोर बना है,
नसीब में जिसके दर्द बेपनाह है|
-ताबिश'शोहदा'जावेद
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