पेशेवर आगे निकल गए,
हम तकदीर को रोते रहे ,
वो तदबीर सहारे निकल गए
साथियों के जमावड़े में,
तन्हा ही रह गए,
तरक्की पर खुश होते रहे ,
असल में ,सब आगे निकल गए.
सपनो कि फेहरिस्त में ,
ऐसा ख्वाब बुन गए ,
बरसो से सोते रहे ,
आज एक ख्वाब सहारे उठ गए .
- ताबिश 'शोहदा' जावेद
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